शास्त्रों में कहा गया है कि व्यक्ति जैसा कर्म करता है उसी अनुसार उसे अगला जन्म मिलता है। यानी आपका अगला जन्म किस योनी में होगा यह आपके इस जन्म के कर्मों पर निर्भर करता है। शास्त्रों और पुराणों में कुछ दिनों को बहुत ही खास बताया गया है।
इनमें भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि भी ऐसी ही है। इस रात भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसी कथा है कि इसी रात को देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए रेत का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया था और इसके बाद भजन, आरती और ध्यान करते हुए रात्रि जागरण किया था।
इससे भगवान शिव को प्रकट होना पड़ा और देवी पार्वती को पत्नी रुप में स्वीकार करने का वरदान देना पड़ा। इसलिए इस रात का शास्त्रों में बड़ा ही महत्व बताया गया है। शास्त्रों में इस दिन कई कार्यों को नहीं करने की सलाह दी गई है, जो इन बातों का ध्यान नहीं रखता है उसे अगले जन्म में नीच योनियों में जाना पड़ता है।
भाद्रमास की शुक्ल पक्ष को हरितालिका तीज कहते हैं। इस व्रत की कथा में उल्लेख किया गया है कि हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। सुहागनों को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और जो विधवा हो चुकी हैं उन्हें इस व्रत के पुण्य से मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में पति का साथ मिलता है।
लेकिन इस व्रत का एक कठिन नियम है यह है कि रात को भगवान शिव और पार्वती का ध्यान करते हुए जागरण करना होता है। जो व्रती इस रात सोती है उसे अगले जन्म में अजगर की योनी में जन्म लेना पड़ता है।
जो व्रती इस व्रत में फल खाती है उसे अगले जन्म में वानरी बनना पड़ता है। दूध पीने वाली स्त्री सांप योनी में जन्म लेती है। मीठा खाने वाले व्रती को चींटी की योनी में जाना पड़ता है।
http://www.amarujala.com/feature/spirituality/shastra/katha-haritalika-teej-myths-hindi-rj/?page=0
इनमें भाद्रमास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि भी ऐसी ही है। इस रात भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। ऐसी कथा है कि इसी रात को देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रुप में पाने के लिए रेत का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन किया था और इसके बाद भजन, आरती और ध्यान करते हुए रात्रि जागरण किया था।
इससे भगवान शिव को प्रकट होना पड़ा और देवी पार्वती को पत्नी रुप में स्वीकार करने का वरदान देना पड़ा। इसलिए इस रात का शास्त्रों में बड़ा ही महत्व बताया गया है। शास्त्रों में इस दिन कई कार्यों को नहीं करने की सलाह दी गई है, जो इन बातों का ध्यान नहीं रखता है उसे अगले जन्म में नीच योनियों में जाना पड़ता है।
भाद्रमास की शुक्ल पक्ष को हरितालिका तीज कहते हैं। इस व्रत की कथा में उल्लेख किया गया है कि हरितालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा जीवनसाथी मिलता है। सुहागनों को अखंड सौभाग्य प्राप्त होता है और जो विधवा हो चुकी हैं उन्हें इस व्रत के पुण्य से मृत्यु के पश्चात स्वर्ग में पति का साथ मिलता है।
लेकिन इस व्रत का एक कठिन नियम है यह है कि रात को भगवान शिव और पार्वती का ध्यान करते हुए जागरण करना होता है। जो व्रती इस रात सोती है उसे अगले जन्म में अजगर की योनी में जन्म लेना पड़ता है।
जो व्रती इस व्रत में फल खाती है उसे अगले जन्म में वानरी बनना पड़ता है। दूध पीने वाली स्त्री सांप योनी में जन्म लेती है। मीठा खाने वाले व्रती को चींटी की योनी में जाना पड़ता है।
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