Helath Care | Indian News | Funny Updates | New Job | Funny Video | Funny News Health Care Tips | GYM Tips | Daily Funny News Health Care || Daily Funny News: November 2012

Friday 30 November 2012

पढ़ें, गुजरात के विकास पर नरेंद्र मोदी का ब्लॉग


प्रिय मित्रो, कुछ सप्ताह पहले की ही बात है जब गुजरात के लोगों ने लोकतंत्र के सबसे बड़े त्योहार, चुनावों, में भाग लिया. मुझे पिछले कुछ महीनों के दौरान आप सबसे मिलने के कई अवसर मिले. विवेकानंद युवा विकास यात्रा, नूतन वर्ष की शुभकामनाएं या फिर पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें. गुजरात की भव्य जीवंतता और आशावादिता को देखकर मुझे अपार खुशी का अनुभव हुआ.
पिछले एक दशक के दौरान हमने विकास की जिन नई ऊंचाइयों को पाया है, वह राजनीतिक स्थिरता के बिना संभव नहीं था. आप में से कई लोगों ने उस गुजरात को भी देखा होगा जहां सरकारें टिकती ही नहीं थीं. पावर हासिल करने के लिए म्यूजिकल चेयर गेम चलता ही रहता था. परंतु अब वह सब इतिहास बन गया है. नीति निर्माण में एकजुटता और स्थिरता ने लोगों को लाभान्वित किया है. राजनीतिक स्थिरता गुजरात के लोगों की दृष्टि और दूरदर्शिता का नतीजा है, जिन्होंने किसी अन्य चीज की बजाए विकास में विश्वास जताया. लेकिन, मेरे लिए इस महानतम योगदान के मायने कुछ बढ़कर हैं- यह सच्चाई है कि कुछ सालों में गुजरात ने लोकतंत्र और राजनीतिक तंत्र में लोगों का विश्वास मजबूत किया है, वह भी आजादी के इतने सालों बाद, जब कि कांग्रेस ने शासन करके इसे कमजोर कर दिया था.

मुझसे कई बार यह प्रश्न पूछा जाता है- मोदी जी, गुजरात ने पिछले 11 वर्षों में कौन-सा उल्लेखनीय योगदान दिया है. आप मुझसे ऐसा कहने की उम्मीद कर सकते हैं- हमने लगातार स्कूल ड्रॉप रेट को कम किया है, लड़कियों को शिक्षित करने का बड़ा काम किया है, विकास की रौशनी आदिवासी इलाकों तक पहुंचाई, गरीब से गरीब को भी तकनीक के साथ जोड़ा, गुजरात को एक औद्योगिक केंद्र बनाया, हम लोग कृषि क्षेत्र में रिकॉर्ड वृद्धि के गवाह बने इत्यादि. अपनी बात के संदर्भ में एक उदाहरण देता हूं. 1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने कहा था कि एक रुपया जब गांव तक पहुंचता है तो वह 15 पैसा हो जाता है! इस कथन ने मुझे चौंकाया. जब राजीव गांधी ने यह बात कही थी, तब पूरे देश में राजनीतिक रूप से कांग्रेस का ही शासन था. कांग्रेस पंचायत से लेकर संसद तक थी और हम कहीं भी नहीं थे. इस बात से क्या सिद्ध होता है- यही कि समस्याओं को सू‍चीबद्ध करने में कांग्रेस को महारत हासिल है, लेकिन जब बात आती है समाधान की तो हम उनसे कोई उम्मीद नहीं रख सकते.

आज, मैं यह कहते हुए गौरवान्वित महसूस करता हूं कि जब एक रूपया गांधीनगर से निकलता है तो उसका एक-एक पैसा लाभार्थी तक पहुंचता है. बिचौलियों को पहले ही बहुत कम किया जा चुका है. सिस्टम में लोगों का विश्वास बंधने का एक बड़ा कारण यह भी रहा है. उन्हीं नियमों और उसी सेट-अप के साथ गुजरात ने दिखा दिया है कि आम आदमी की जिंदगी में किस तरह गुणात्मक बदलाव लाया जा सकता है. हम पर लगाए जा रहे आरोपों को जानकर भी आप हैरान होंगे. आरोप हैं- 'आपने 500 स्कूलों की बजाए 350 स्कूलों का ही निर्माण कराया है'. या 'आपने 10 किलोमीटर की जगह 8 किलोमीटर की सड़क बनाई है!' आरोपों का केंद्र बिंदु भी विकास ही है. पर, क्या हम यही बात कांग्रेसी मित्रों के लिए भी कह सकते हैं? नहीं! कोई उनसे विकास के बारे में प्रश्न करने की जहमत नहीं उठाता. केवल घोटालों की संख्या के बारे में ही उनसे बात की जा सकती है.

मित्रो, मूल रूप से अंतर सिर्फ राजनीतिक शैली का है. भाजपा ने हमेशा विकास को ध्यान में रखते हुए राजनीति की है तो कांग्रेस हमेशा से ही वोटबैंक की राजनीति करती आई है. याद कीजिए, कैसे उन्होंने गुजरात में भाई से भाई को अलग किया, मित्रों से मित्रों को जुदा किया. रथ-यात्रा हो या कोई क्रिकेट मैच, राज्य में कर्फ्यू लगा रहता था. आज, यदि आप किसी बच्चे से कर्फ्यू का मतलब पूछेंगे तो शायद उसे पता नहीं होगा. एक दशक के अंतराल में यह अंतर आया है.

मैं अक्सर कहता हूं- यदि कांग्रेस को गुजरात चाहिए तो उन्हें वोटबैंक की राजनीति छोड़कर विकास की राजनीति की राह पकड़नी चाहिए. तब तक, गुजरात के लोग सबकुछ जानते हुए उन्हें यहां की माटी पर प्रवेश करने का मौका नहीं देंगे.

पिछले कुछ दिनों में मैं हमारे कई कार्यकर्ताओं से मिला हूं और मैंने जो जोशो-खरोश और उत्साह उनमें देखा है, उन्हें शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता. हमारी सच्ची ताकत हमारे कार्यकर्ता हैं और मैं उन्हें उनके सराहनीय कार्यों के लिए बधाई देता हूं. मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि उनके प्रयास व्यर्थ नहीं जाएंगे. जनवरी 2013 से हम एक भव्य और दिव्य गुजरात की तरफ और मजबूती से बढ़ेंगे. 20 दिसंबर 2012 को हमलोग एक और दिवाली मनाएंगे और यह अब तक की सबसे भव्य होगी...

-नरेंद्र मोदी



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लो, नेताजी अब खटिया सवारी पर...चुनाव आते ही नौटंकी शुरू!


गांधीनगर। भई, ये चुनावी मौसम है। इसलिए नेताजी जो न करें वह कम है। वैसे भी यह चुनावी संग्राम तो गुजरात का है, पूरी दुनिया की नजर इस चुनाव पर है। 
तमाम पार्टियां दिन-रात एक किए हुए हैं। दल तो कई हैं, लेकिन सीधी जंग कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है।



बीते दिन कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों ने दूसरे चरण के चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारी के फार्म भरे। जगह-जगह ढोल-ढमाकों के साथ नेताओं की टोली रास्तों से गुजरती दिखाई दी, जिसमें विविधता थी। कोई बाइक पर, कोई जीप पर तो कोई पैदल ही फार्म जमा करने के मिशन पर निकला हुआ था। लेकिन इसमें एक उम्मीदवार जरा हटके ही थे।



जीतू पटेल नामक कांग्रेसी नेता, जहां से भी गुजरे हास्य का वातावरण पैदा होता गया, क्योंकि जहां अन्य नेता घोड़े-गाडिय़ों से चुनाव आयोग के कार्यालय पहुंच रहे थे, वहीं जीतू पटेल खटिया की सवारी करते हुए कार्यालय पहुंचे। उन्हें कांग्रेस ने नारणपुरा विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया है।

बीजेपी ने की 4 और नामों की घोषणा, आखिरी सीट पर फैसला बाकी


गांधीनगर। नई दिल्ली त्नगुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए शेष चार सीटों के लिए भाजपा ने अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है।

प्रांतिज से जयसिंह मानसिंह चौहान, दहेगाम से रोहितजी चंदुजी ठाकोर, गांधी नगर दक्षिण से शंभुजी चेलाजी ठाकोर और गांधी नगर उत्तर से अशोक रणछोड़भाई पटेल को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा ने बीते बुधवार को 89 प्रत्याशियों की सूची जारी की थी।


उल्लेखनीय है कि गुजरात में पहले चरण के लिए 13 दिसंबर और दूसरे चरण के चुनाव के लिए मतदान 17 दिसंबर को होना है। मतगणना 20 दिसंबर को होगी।

सिद्धू का गुजरात में हल्ला बोल, हंस-हंसके लोटपोट हुए लोग


बोटाद (गुजरात)। बोटाद शहर में बुधवार को भारतीय क्रिकेटर व भाजपा के सांसद नवजोत ङ्क्षसह सिद्धू ने एक चुनावी सभा को संबोधित किया। यहां भी वे अपने शायराना अंदाज में ही नजर आए और खूब तालियां बटोरीं।



सिद्धू ने केशुभाई पटेल का नाम लेते हुए उन पर आरोप लगाया कि 'उन्होंने पार्टी की पीठ में छुरा घोंपा है, पार्टी को धोखा दिया है। अरे, जो व्यक्ति अपनी मां समान पार्टी का नहीं हुआ, वह आपका क्या होगा'?



उन्होंने कहा, 'यह चुनाव गुजरात के मुख्यमंत्री का नहीं, बल्कि हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री का हो रहा है। हाल ही में केंद्र सरकार के पाप के चलते पूरा देश अंधकारमय हो गया था, लेकिन एक गुजरात ऐसा राज्य था, जो जगमगाता रहा।'

आडवाणी को हराने के लिए मल्लिका ने इस तरह मांगी थी भीख

गांधीनगर। गत लोकसभा चुनाव (2009) में जब भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधी जंग चल रही थी, तब अहमदाबाद की प्रसिद्ध नृत्यांगना मल्लिका साराभाई लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी थीं, क्योंकि उन्होंने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा था।


हालांकि जनता ने उन्हें पूरी तरह नकार दिया था और चुनाव जीतने का साराभाई ने जो मुगालता पाल रखा था, वह इस तरह दूर हुआ था कि उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी।

तो... विरोधियों को पटकनी देने के लिए यह था मोदी का गेम प्लान

गांधीनगर। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) ने दो चरण में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए 89 उम्मीदवारों की अपनी दूसरी सूची बुधवार को जारी कर दी। 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा के लिए भाजपा अब तक 177 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। इस सूची में 19 महिला, सात अनुसूचित जाति और 11 अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवीर भी शामिल हैं।


भाजपा के लगभग सभी बड़े उम्मीदवारों के नाम जाहिर हो जाने के बाद अब मोदी का चुनावी गेम प्लान स्पष्ट होता जा रहा है। भाजपा की दूसरी सूची देखकर साफतौर पर लग रहा है कि मोदी किसी भी तरह का जोखिम उठाने के मूंड में नही हैं। इसीलिए उन्होंने पार्टी की 'नो रिपीट थ्योरी' को दरकिनार करते हुए पुराने उम्मीदवारों को टिकट दिया। ङ्क्षहदुत्व कार्ड खेला और केशुभाई पटेल को पटखनी देने के लिए पटेल समुदाय के भी अधिकतर प्रत्याशियों को मैदान में उतारा...

गुजरात की राजनीति गरमाई : GPP के टिकट पर चुनाव लड़ेंगी हरेन पंड्या की पत्नी


गांधीनगर। गुजरात के पूर्व गृहमंत्री स्व. हरेन पंडया की पत्नी जागृतिबेन पंड्या के गुजरात परिवतर्न पार्टी में जुडऩे से गुजरात का राजनीतिक माहौल अचानक ही गरमा गया है। जागृति ने एलिसब्रिज सीट से चुनाव लडऩे का निश्चय किया है। उल्लेखनीय है कि इसी सीट से कभी उनके पति हरेश पंड्या विधायक थे और इसी सीट की वजह से नरेंद्र मोदी और हरेन पंड्या के रिश्तों में दरार आई थी।

जागृतिबेन के अचानक चुनावी मैदान में उतरने से अब राजनीतिक जंग और भी रोमांचक हो गई है। हरेन पंड्या की इस इलाके में काफी लोकप्रियता थी। इसलिए इस सीट से अब जागृति भी बाजी मार पाती हैं या नहीं, इस पर सबकी नजर रहेगी।

विज्ञापन को लेकर गुजरात में एक बार फिर कांग्रेस की किरकिरी

अहमदाबाद। गुजरात में कांग्रेस की विज्ञापन को लेकर एक बार फिर किरकिरी हो रही है। इस बार विज्ञापन किसानों की बदहाली पर है। इसमें एक किसान को कंधे पर कुदाल रखकर दिखाया गया है। भाजपा का आरोप है कि यह किसान गुजरात नहीं बल्कि राजस्थान का है।

इससे पहले कांग्रेस ने कुपोषण दिखाने के लिए श्रीलंकाई महिला और बच्चे को अपने विज्ञापन दिखाया था।

चुनावी बगावत.. विरोधियों के साथ अब अपनों से भी होगा मुकाबला

गांधीनगर।पहले चरण में 87 सीटों पर चुनाव होना है। इसमें से कांग्रेस आलाकमान ने केवल 22 प्रत्याशियों को ही टिकट दिया है। हालांकि राज्य कांग्रेस कमेटी के सूत्रों ने अपने स्तर पर 65 अन्य प्रत्याशियों को टिकट देने का दावा किया है। जबकि भाजपा व जीपीपी ने 87 और एनसीपी ने 3 प्रत्याशियों को उतारा है। राज्य की कुल 182 सीटों में से कांग्रेस केवल 173 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। जबकि एनसीपी कांग्रेस के साथ समझौते के तहत 9 सीटों पर।

सभी पार्टियों में टिकट बंटवारे को लेकर असंतोष की आग पहले चरण में विकराल रूप धारण कर चुकी है। अब तक 87 सीटों पर 1534 लोगों ने पर्चे भरे हैं। कांग्रेस और भाजपा में तो बगावत है ही। एनसीपी भी पीछे नहीं है। सूरत में एनसीपी के अनेक कार्यकर्ताओं ने नामांकन फॉर्म भरे हैं। बगावत के सबसे ज्यादा मामले सूरत के 16 सीटों पर हैं

दिग्विजय सिंह ने नरेंद्र मोदी को कहा रावण

भोपाल। अपने विवादित बयानों की वजह से अक्‍सर सुर्खियों में रहने वाले कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने अब गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी को  '10 सिर वाला' कहा है। 
सिंह ने मोदी की तुलना रामायण के '10 सिर वाले' व्यक्ति से करते हुए 3-डी प्रचार पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि 3-डी तकनीक से मोदी एक जगह बोलेंगे और 10 जगह उनकी बात पहुंचेगी, यह ठीक रामायण के उस व्यक्ति के समान है, जिसके '10 सिर' थे, यही हाल मोदी का है।

भीड़ गायब... मोदी का 3डी प्रचार हुआ फ्लॉप?

गांधीनगर। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्य में 26 जगहों पर 3 डी प्रचार किया, लेकिन इस बार कई जगह यह हाईटेक चुनाव प्रचार फ्लॉप होता दिखाई दिया।

अहमदाबाद की एक सभा में तो लगभग सारी ही कुर्सियां खाली दिखाई दीं, वहीं जूनागढ़ और वलसाड में एक-दो लोग ही मोदी का 3डी अवतार निहारते नजर आए।

अब नरहरि अमीन बगावत पर उतरे, पार्टी छोड़ने की दी धमकी

गांधीनगर। गुजरात इकाई के वरिष्ठ नेता व पूर्व उप-मुख्यमंत्री नरहरि अमीन ने मोर्चा खोल दिया है। अमीन विधानसभा चुनाव की पसंदीदा सीट न मिलने से नाराज हैं। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया को बता दिया है कि वे गांधीनगर-उत्तर से चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं है।


अमीन के मोर्चा खोलने की बात फैलते ही अमीन के करीबी चार नेताओं ने विस.चुनाव न लडऩे की चेतावनी दी है। इनमें नारणपुरा से डॉ. जीतू पटेल, घाटलोडिया से रमेश दूधवाला, पालडी से कमलेश शाह एवं साबरमती से खड़े हुए भरत पटेल शामिल हैं।


इन नेताओं ने चुनाव न लडऩे और पार्टी से त्याग पत्र देने का प्रस्ताव देकर पार्टी आलाकमान से मामले में पुनर्विचार की अपील की है।