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Wednesday, 3 April 2013

अमेरिका नहीं मानता 1984 के दंगों को जनसंहार

अमेरिका में खालिस्तान समर्थक समूहों को उस समय झटका लगा जब ओबामा प्रशासन ने भारत में 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को जनसंहार करार देने से इनकार कर दिया, लेकिन यह जरूर माना कि मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ था. इस संबंध में व्हाइट हाउस की प्रतिक्रिया अमेरिका में सिख समुदाय के एक वर्ग द्वारा ऑनलाइन अर्जी अभियान चलाने के कुछ महीनों बाद आयी है जिसमें ओबामा प्रशासन से वर्ष 1984 के दंगों को जनसंहार करार देने की मांग की गई थी.

15 नवम्बर 2012 को तैयार अर्जी पर कुछ सप्ताह के भीतर ही 30 हजार लोगों ने हस्ताक्षर किये. 25 हजार से अधिक हस्ताक्षर वाली प्रत्येक अर्जी की समीक्षा की जाती है उस पर प्रतिक्रिया जतायी जाती है.
व्हाइट हाउस ने कहा, ‘अमेरिका ने वर्ष 1984 के दौरान और उसके बाद हुई हिंसा पर गौर किया और यह रिपोर्ट दी कि सिख समुदाय के सदस्यों के खिलाफ ज्यादतियां हुईं और मानवाधिकार का उल्लंघन हुआ.’
   1984 के दंगों में 3000 से 30 हजार के बीच लोग मारे गए थे. हालांकि सही आंकड़ा कभी सामने नहीं आया. तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्‍या के बाद भड़के इन दंगों के सिलसिले में आज भी कई मामले कोर्ट में चल रहे हैं.

मनमोहन सिंह बोले, लौट आएंगे 'वो' दिन





CII के सालाना कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में एक बार फिर देश को तेज विकास की पटरी पर लौटाने का वादा किया. साथ ही कारोबारियों को सरकार के साथ मिलकर विकास के लिए काम करने की नसीहत भी दी.

भाषण की शुरुआत में पीएम ने कहा, '2007 में यह सोच थी कि चाहे सरकार रहे या रहे, देश का विकास दर 9 फीसदी रहेगा. हालांकि वैश्विक मंदी के दौर में चीजें बदल गईं. अब सरकार की भूमिका अहम हो गई है. ऊंची विकास दर को हासिल करने के लिए सरकार और कारोबारियों को एक साथ आने की जरूरत है.'

भाषण के मुख्य अंश
1. सरकार और कारोबारी विकास में साथ हो.
2. अब सरकार की भूमिका अहम हो गई है.
3. साझा रणनीति से काम करने की जरूरत.
4. वित्त मंत्री रहते हुए CII से मदद मिली.
5. फिर ऊंची विकास दर हासिल कर सकते हैं.
6. वैश्विक मंदी का पूरे विश्व पर असर.
7. महंगाई और कम करने की जरूरत.

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